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Thursday, 25 May 2017

मालवा की जी.....

एक बार एक मुकदमे में मालवा की एक जी को गवाह बना दिया गया।

बेचारी अनपड़-गँवार जी कोर्ट में जाकर खड़ी हो गई,

दोनो वकील भी जी के गाँव के ही थे !

पहला वकील बोला= "जी तू म्हारे ओलखे के नी ?"

जी बोली= "हाँ भई तू गेंन्दया को छोरो है नी,

तू तो म्हारा सामने चड्डी पेरता सीखीयो रे भई, हुँ तो थारा बाप का बाप के बी ओलखू।

थारो बाप तो घणो सीदो आदमी थो रे भई,

ने तू तो भारी गेलचौदो निकली गयो रे दादा, निरखो झूट बोले रे।

झूट, बोली-बोली ने तू मनक ना के भारी ठगे रे लाकड़ा का ल्या।

झूटला गवा बनई ने तू केस जीती जावे।

थारो नास जाय थारो, थारा मारी तो सगला मनक काल्या हुई गया रे।

थारी बयरा बी भारी दुखी थी थारा मारी बापड़ी, भागी गई थारे छोड़ी ने।"

वकील बेचारा चुपचाप नजरे झुकाकर देखने लगा।

उसने मन में सोचा= "म्हारी तो घणी बेइज्ती कर दी इनी डोकरी ने।"

उस वकील ने दूसरे वकील की तरफ इशारा कर के पुछा ="जी तू इके ओलखे के नी?"

जी बोली= " हाँ यो तो फुल्या को छोरो है।

इका बाप ने तो बापड़ा ने घणा रूपिया बिगाड़ीया इके भणाणे में पण यो दोणी को फूट्टो कई नी सीखीयो,

जनम् सेज् लुच्चो है, इको खेजड़ो उग्गी जाय इको।

छोटो सो थो जद् सेज् छोरी ना का पाछे-पाछे रटोला खाया करतो थो नास को मिट्यो।

गाम की बऊ-बेटी ना के तो डोला फाड़ी-फाड़ी ने देखीयाज् करे लाकड़ा को ल्यो।

इका डोला तो थारी बयरा पे से हटताज् नी था,

जद् वा बापड़ी गाम का बरमा पे पाणी भरवा के जाती तो यो नास मिट्यो उके देखी ने सीटी बजातो थो।

तम दोई करमखोड़ला ना का दुख का मारी नातरे भरई गई बापड़ी दुखयारी।"

यह सब देखकर कोर्ट में बैठी जनता जोर-जोर से हँसने लगी।

जज बोला :- "आर्डर आर्डर।"

और दोनो वकीलों को अपने चेम्बर में बुलाकर,

जज बोला= "अगर तुम दोनो वकीलों में से किसी ने भी इस डोकरी से ये पूछा कि,

'जज्साब् के ओलखे के नी?'

तो मैं तुम दोनों को गोली मारकर खुद फांसी पर लटक जाऊँगा।"

दोनों वकील बोले= "इतना नाराज क्यों हो रहे हो मायलाॅर्ड?"

जज बोला= "कमीनो, जब तुम दोनों पैदा भी नहीं हुए थे, तब मैं भी तुम्हारे ही गाँव में रहता था।"

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